आज फिर किसी की याद आई, और होश गुम सा है,
छुपानी हैं ये भीगी पलकें , काश रात का पहरा होता,
रह रह कर खो जाते हैं उनके ही ख्यालों में,
जो भी नज़र उठाकर देखता है हमें कभी, काश उनका चेहरा होता...
लौट आए हैं आज फिर इन दीवारों के पीछे,
पर ख़ुद को उनके ही पास छोड़ आए हैं,
जब ना चाहते हुए उनसे अलग हो रहे थे हम,
काश तब बस दो पल और वक्त ठहरा होता ....
2 comments:
Another one from the Lady :) ...
Cant get better...
Yeh dard,
yeh ahesaas,
yeh tanhai,
aur phir unki yaad aye...
beete lamhein...are always special :)
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